Friday, 8 January 2021

#BookReview : Superstar Ki Maut by Ramkumar Singh



मुंबई की फ़िल्‍म इंडस्‍ट्री हमेशा एक पहेली की तरह है। हर कोई पर्दे के पीछे की कहानियाँ जानना चाहता है। यह उपन्‍यास ऐसी ही एक दिलचस्‍प कहानी कहता है, जहाँ एक सुपरस्‍टार मर गया है। उसकी भूमिका लंबे समय से तैयार हो रही है। हर साल बड़ी संख्‍या में युवा फ़िल्‍मी दुनिया का हिस्‍सा होने के लिए सपना देखते हैं लेकिन सच्‍चाई क्‍या है? क्‍या वहाँ सचमुच नए लोगों का स्‍वागत तहेदिल से किया जाता है। इस वक़्त पूरे देश में नेपोटिज्‍म की बहस चल रही है। यह उपन्‍यास दिखाता है कि उस शहर में नए रास्‍ते कैसे बनते हैं और उन पर चलने के ख़तरे और चुनौतियाँ क्‍या हैं? उपन्‍यास अपनी गद्य संरचना में ऐसा है कि एक बार पढ़ना शुरू करने पर पाठक उसके साथ बहने लगता है। उसे लगता है जैसे फ़िल्‍मी दुनिया के पर्दे के पीछे चल रही कहानी उसकी आँखों के सामने सजीव हो गई है।

जो किताबें अपने नाम में ही किताब के एक अहम वाकये को बता देती है वो हमेशा ही मुझे दिलचस्प लगती है। रामकुमार सिंह द्वारा लिखित "सुपरस्टार की मौत" भी इसी कैटेगरी में फिट बैठती है। किताब के शीर्षक को पढ़ के ही आपको इसके एक अहम भाग का पता चल जाएगा पर क्या पूरी किताब इसी बात तक सीमित है?

कहानी के नायक और नायिका उन असंख्य लोगों में से है जो सपनो की नगरी मुम्बई में कुछ बड़ा करने का अरमान लिए आते है। दोनो स्ट्रगल करते हुए एक दूसरे से मिलते है और अनायास ही अच्छे मित्र बन जाते है। लड़का चूंकि एक सफ़ल कहानीकार बनना चाहता है, वो एक वरिष्ठ परंतु तिरस्कृत लेखक की मदद लेता है और कुछ समय बाद "सुपरस्टार" को इसकी स्क्रिप्ट अच्छी भी लगती है। वही हमारी नायिका का स्ट्रगल का वक़्त चल ही रहा था कि एक विशिष्ट प्रकार के निर्देशक ने उन पर अपनी कृपा दृष्टि डाल दी। कैसे ये सभी किरदार एक साथ आते है, इसको जानने के लिए इस किताब को ज़रूर पढ़े..


कोई भी किताब सफ़ल तभी कहलाती है जब वो पाठक को बिना किसी ताम-झाम के समझ भी आये और उसका लुफ्त भी उठा सके। यह किताब मेरे लिए वही साबित हुई। लेखक हमे अनेक किरदारों से रूबरू करवाते है और उनका सटीक विवरण भी देते है, साथ ही बॉलीवुड की चमकीली दुनिया से भी हमारा वास्ता करवाते है पर उसी के साथ यह सीख भी देते है कि हर चमकने वाली चीज़ सोना नही होती। जो भी ये रिव्यु पढ़े वो ज़रूर इस किताब को उठाये।